जयपुर यात्रा- दूसरा दिन
रात में ही तय हो गया था की सुबह सब लोग सात बजे तैयार मिलेंगे लेकिन होटल से निकलते निकलते ही हमें सुबह के 9 बज गये.. हमने आज थोड़ा हैवी नाश्ता किया, आलू पनीर पराठों के साथ दूसरे दिन पेट को सलामी दी गई और उसके बाद तय कार्यक्रम के मुताबिक़ हम निकल पड़े सबसे पहले हम पहुँचे जयपुर के नाहरगढ़ किला, जो अरावली पर्वतमाला के किनारे पर स्थित है , जहां से से पूरा जयपुर शहर दिखता है । आमेर किले और ज यगढ़ किले के साथ , नाहरगढ़ ने एक बार शहर के लिए एक मजबूत रक्षा घेरा बनाया था। किले का मूल नाम सुदर्शनगढ़ था , लेकिन इसे नाहरगढ़ के नाम से जाना जाने लगा, जिसका अर्थ है बाघों का निवास '। लोकप्रिय धारणा यह है कि यहां नाहर का अर्थ नाहर सिंह भोमिया है, जिसकी आत्मा ने इस स्थान पर निवास किया और किले के निर्माण में बाधा डाली। नाहर की आत्मा को किले के भीतर उनकी स्मृति में एक मंदिर बनवाकर शांत किया गया, जो इस प्रकार उनके नाम से जाना जाने लगा। किलों के अंदर की नक्काशी और बनावट उस वक्त की कला और संस्कृति की धरोहर है किले मैं उस वक़्त का एक शीशा भी लगा है लेकिन ऐसा कुछ ख़ास है, इसमें शीशे