जयपुर यात्रा- पहला दिन

 दिवाली के बाद भैया दूज मनाने के लिए पहली बार बेटी घर में नहीं थी इसलिए हम लोगों ने  उसके इंस्टिट्यूट जाकर त्योहार मनाने का फ़ैसला किया तो हम दिल्ली से निकले और पहुँच गए जयपुर हालाँकि रात में ड्यूटी कर के गया था इसलिए रास्ते में गाड़ी ड्राइव करने में काफ़ी दिक़्क़त आयी ….एक्सप्रेसवे का सफ़र हमेशा आपकी आंखें बंद कर देगा क्योंकि गाड़ी एक रफ़्तार से चलती है करने को कुछ होता नहीं है सुबह 8 बजे घर से निकलें और दोपहर 1 बजे जयपुर पहुँच गया,





भैयादूज के त्योहार की औपचारिकताएं पूरी की और उसके बाद इंस्टिट्यूट के रेस्टोरेंट में ही साउथ इंडियन डिशेज़ का लुत्फ़ उठाया।



 हम जयपुर 2-3 दिन का प्रोग्राम बनाकर पहुँचे थे इसलिए पहले दिन आस पास के मंदिरों को घूमने का प्लान रखा गया सबसे पहले हम पहुँचे मोती डूंगरी गणेश मंदिर और वहाँ भगवान गणेश के दर्शन किए



मोती डूंगरी मंदिर गणपति की बहुत महिमा है कहा जाता है कि जो यहाँ सच्चे मन से भगवान से आशीर्वाद देता है उसके सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. 



डूंगरी मंदिर के ठीक सामने हनुमान जी का बहुत प्राचीन मंदिर है. यहाँ भी प्रसाद वग़ैरह चढ़ाकर विधिवत पूजन किया गया और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त किया गया

अब तक रात 9 बज चुके थे और हमने रुख़ सीधे जयपुर के सबसे मशहूर पर्यटक स्थल हवामहल का, हां बीच में अल्बर्ट हॉल अपनी रंग बिरंगी रोशनी से चमचमा रहा था, सहयात्रियों के विरोध के बावजूद मैं यहां रुका और १-२ फोटो ले लिए 





9 बजे का समय रखा गया क्योंकि इस वक़्त वहाँ भीड़ थोड़ी कम हो जाती है और ऐसे में कार पार्किंग और मार्केटिंग में सहूलियत रहती है



 हवा महल अंदर जाकर देखने का समय खत्म हो चुका था, इसलिए बाहर से ही देखने के बाद हमने कुछ मार्केटिंग की, आसपास की दुकानों से गर्म कपड़े शाल वगैरा खरीदी गई, इसके बाद पेट पूजा की बारी आई, पास ही एक रेस्टोरेन्ट दिखा वहीं हमने भरपेट राजस्थानी खाना खाया. 


गाड़ी साथ में थी इसलिए लौटने की चिंता नहीं थी, खा पीकर हम सो गए क्योंकि अगला दिन बहुत महत्वपूर्ण था एक ही दिन में हमें पूरा जयपुर घूमना था










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